लोभी को धन देकर,अभिमानी को हाथ जोडकर,मूर्ख को उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके और विद्वानो को सच्ची बात बताकर वश मे करने का प्रयत्न करना चाहिये.
लोभी व्यक्ती स्वार्थ मे इतना अन्धा होता है कि वह धन प्राप्ती के बिना संतुष्ट नही होता,उसे धन देकर वश मे किया जा सकता है.हालांकि लालच के प्रकार के अनुसार पैसे की जगह अन्य वस्तु का बदलाव हो सकता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति के स्वभाव में बदलाव नहीं आता।
जिस व्यक्ती को अभिमान है, अहन्कार है, उसे नम्रतापूर्वक व्यवहार करके वश मे किया जा सकता है, क्रोधी स्वभाव के लोगों को उनका क्रोध सहकर अपने वश में किया जा सकता है। ऐसे लोगों को अपने वश में करना भी बेहद आसान होता है, क्योंकि आज के समय में कोई किसी का गुस्सा नहीं सह सकता। ऐसे में अगर आप किसी का गुस्सा सहते हैं तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे आपके वश में आ सकता है। ऐसे लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी ही क्रोध होता है।
मूर्ख व्यक्ती सदैव हठी होता है,इसीलिये उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके उसे अपने अनुकूल बनाया जा सकता है.आचार्य चाणक्य का मानना है कि अगर किसी बेवकूफ को अपने वश में करना हो तो बस उसकी प्रशंसा करते रहो। क्योंकि ऐसे लोगों में सही-गलत की पहचान करने की क्षमता नहीं होती है। इस स्वभाव के लोग दूसरों से अपनी प्रशंसा सुनकर फूले नहीं समाते। ऐसे लोगों की प्रशंसा कर कोई भी कार्य कराया जा सकता है।
और विद्वान् व्यक्ती को वशे मे करने का सबसे सही उपाय यही है कि उन्हे वास्तविकता से सत्य बताकर वश मे किया जा सकता है.आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सबसे मुश्किल बुद्धिमान लोगों को सम्मोहित करना होता है। क्योंकि ऐसे लोग हर चीज को अपनी बुद्धिमत्ता से परख और समझ कर उस पर फैसला लेते हैं। आचार्य कहते हैं कि किसी बुद्धिमान को सम्मोहित करने का एकमात्र तरीका उनके सामने सच बोलना है। ऐसे लोगों को सच बोलकर अपने प्रभाव में लिया जा सकता है।
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