अच्छे गुण ग्रहण कैसें करे-acche gun grahan kaise kare-how to improve our
।। मृत्पिण्डोपि पाटलिगन्धमुत्पादयति ।। जिस प्रकार बिना गंध वाली मिट्टी मे फुलो के संसर्ग से उसमे गंध आ जाता है,इसी प्रकार स्वाभाव से जो व्यक्ती गुण ग्रहण करने की इच्छा…
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।। मृत्पिण्डोपि पाटलिगन्धमुत्पादयति ।। जिस प्रकार बिना गंध वाली मिट्टी मे फुलो के संसर्ग से उसमे गंध आ जाता है,इसी प्रकार स्वाभाव से जो व्यक्ती गुण ग्रहण करने की इच्छा…
गुणवदाश्रयान्निर्गुणोपि गुणी भावति। गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने से अथवा उसके पास रहणे से गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ती को इस संसार मे सभी बातो का…
।। सतां मतं नातिक्रमेत्।। सज्जन पुरुष जो निर्णय लेते है उसके विरुद्ध कार्य करना उचित नही अर्थात सत्पुरूषो के विरुद्ध चलना मनुष्य का कर्तव्य नही।आखिर क्यो सज्जन पुरुष के विरुद्ध…
।। अप्रिये कृतं प्रियमपि द्वेष्यं भवती।। शत्रू द्वारा ऐसा व्यवहार जो देखने मे हितकारी प्रतीत हो,उसे दूध से भरे बर्तन के मुख पर लगे विष के समान ही मानना चाहिए।…
मर्यादातीतं न कदाचिदपि विश्वसेत् जो व्यक्ती सामाजिक नियमो अर्थात मर्यादाओ का उल्लंघन करते है उनका कभी भी विश्वास नही करना चाहिये। प्रत्येक समाज मे कुछ नियम होते है। समाज उन…