व्यसन मे फंसा हुआ व्यक्ती किसी एक बात पर ध्यान न टिकाने के कारण कर्तव्यविमुख हो जाता है |
व्यसन अर्थात बुरी लत मे पडा हुआ व्यक्ती अपने कर्तव्य को भूल जाता है | उसे इस बात का ध्यान हि नही रहता कि उसे क्या करना है और क्या नही | वह और सब बाते भूलकर अपने गलत काम मे ही अपना समय बिता देता है | उसमे इतनी शक्ती नही होती कि वह अपने कर्तव्य की ओर ध्यान दे अथवा उसे पूर्ण करने का प्रयत्न करे | व्यसनो मे फसे हुए व्यक्तिओ को इस बात का अहसास भी नही रहाता कि उसे किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिये | व्यसन मनुष्य का सबसे बडा शत्रू है | एक बार व्यक्ती यदी किसी व्यसन कि चंगुल मे फस जाता है तो उसके चक्कर से निकलना उसके लिये अत्यंत कठीन हो जाता है
नशा न केवल व्यक्ति की कार्यक्षमता को कम करता है अपितु यह समाज और राष्ट्र दोनों के लिए हानिकारक है। नशीले पदार्थो की प्राप्ति हेतु व्यक्ति, घर, मित्र और पड़ोस तकमें चोरी एवं अपराधी क्रियाओं को अंजाम देने लगता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो व्यसन विभिन्न बिमारियों को आमंत्रण देता है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्करी, आतंकवाद एवं देशद्रोही गतिविधियों को बढ़ावा देता है। सामाजिक दृष्टि से जुआ, वेश्यावृति, आतंकवाद, डकैती, मारपीट, दंगे अनुशासनहीनता जैसी सामाजिक समस्याएँ व्यसन से ही संबंधित हैं। व्यसनी व्यक्ति दीर्घकालीन नशों की स्थिति में उन्मत्त रहता है तथा नशीले पदार्थ पर व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक तौर पर पूर्णतया आश्रित हो जाता है, जिसके हानिकारक प्रभाव केवल व्यक्ति ही नहीं अपितु उसके परिवार और समाज पर भी पड़ते हैं।
नशा विद्यालय एवं महाविद्यालय और महिलाओं में बढ़ता जा रहा है। अतः सामाजिक विद्यटन को रोकने के लिए व्यसन की इस अनियंत्रित स्थिति पर नियंत्रण आवशयक है।
किसी भी राष्ट्र के निर्माण मे सबसे बडा सहयोग युवाओं का होता है,अगर वही युवा व्यसनो घिरा रहे तो राष्ट्र,समाज,और संस्कृती का नाश होने मे समय नही लगतां
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