यदि कोई बच्चा भी उपयोगी बात करता हो तो उसे सुनना चाहिए | अर्थात मनुष्यो को किसी भी महत्वपूर्ण बात कि उपेक्षा नही करनी चाहिये,भले ही उस बात को कहनेवाला व्यक्ती कितना ही सामान्य और तुच्छ क्यो न हो |
जिस प्रकार किचड मे पडे हुए रत्न भी उठा लेने चाहिए, उसी प्रकार यदी कोई साधारन व्यक्ती उपयोगीं बात कहता हो तो उसे ग्रहण कर लेने मे संकोच नही करना चाहिए | बहुत से व्यक्ती देखने मे बडे सामान्य और उपेक्षीत से दिखाई देते है, परंतु वह कई बार ऐसी बात कह देते है जो बडी महत्वपूर्ण होती है | उस बात को सूनना और अमल करना बुरा नहीं है | इस प्रकार कि बात से कई बार मानव जीवन मे महत्वपूर्ण परिवर्तन के उदाहरण देखे गए है, इसिलिए कही से भी उपयोगी बात को ग्रहण करने मे आनाकानी नहीं करनी चाहिए |
अज्ञो भवति वै बालः पिता भवति मन्त्रदः ।
अज्ञं हि बालमित्याहुः पितेत्येव तु मन्त्रदम् ।।
चाहे सौ वर्ष का भी हो, परन्तु जो विद्या विज्ञान से रहित है, वह बालक और जो विद्या विज्ञान का दाता है, उस बालक को भी वृद्ध मानना चाहिए क्योंकि सब शास्त्र आप्त विद्वान् अज्ञानी को बालक और ज्ञानी को पिता कहते हैं ।
अज्ञ अर्थात् जो कुछ नहीं पढ़ा, वह निश्चय करके बालक होता है और जो मन्त्र अर्थात् दूसरे को विचार देने वाला, विद्या पढ़ा, विद्या विचार में निपुण है, वह पिता स्थानीय होता है, क्योंकि जिस कारण सब सत्पुरुषों ने अज्ञानी को बालक कहा और मन्त्रद को पिता ही कहा है । इससे प्रथम ब्रह्मचर्याश्रम सम्पन्न होकर ज्ञानवान् अवश्य होना चाहिए ।
[…] कौन रहता है महत्वपूर्ण बात को कही से भी ले लेनी चा… सीधे वृक्ष और सीधे लोग जल्दी काट दिये […]
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