।। अप्रिये कृतं प्रियमपि द्वेष्यं भवती।।
शत्रू द्वारा ऐसा व्यवहार जो देखने मे हितकारी प्रतीत हो,उसे दूध से भरे बर्तन के मुख पर लगे विष के समान ही मानना चाहिए। शत्रू कई बार विरोधी राष्ट्र को बहकावे मे डालने के लिए इस प्रकार का व्यवहार करने लगता है जो देखने मे बहूत अच्छा लगता है। परंतु इस व्यवहार पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
भारतीयों ने इस प्रकार का फल चखा है। भारत के आजाद होने के बाद भारत मे हिंदी चिनी भाई-भाई का नारा लगाया गया था। भारतीय अधिकारियो ने उस नारे मे छिपी हुई दुष्ट भावना को नही समझा। वह भावना तभी स्पष्ट हुई जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया। इसीलिये चाणक्य कहते है कि ऐसे व्यक्ती की बात पर विश्वास नही करना चाहिए जो विश्वास करने योग्य न हो।
जो व्यक्ती कपटपुर्ण नम्रता का व्यवहार करता है उसका विश्वास उसी प्रकार नही करना चाहिए जिस प्रकार ढेंकली नीचे को सिर झुकाकर कुए मे घुसती है और उसका पानी निकाल लाती है। उसी प्रकार स्वार्थी लोगो के दिखावटी नम्रतापुर्ण व्यवहार पर विश्वास नही करना चाहिए।
चाणक्य ने कुए मे से पानी निकालने वाली ढेंकली का बहुत ही विचित्र और उपयुक्त उदाहरण दिया है। किसी कुए मे से जब ढेंकली द्वारा पानी निकाला जाता है तो जिस भाग मे ढेंकली बंधी होती है उसे नीचे झुकाकर कुए मे डाला जाता है।
इस प्रकार ढेंकली सिर झुकाकर कुए मे घुसती है,परंतु धिरे-धिरे पानी निकालकर उसे खाली कर देती है। इसी प्रकार दुष्ट मनुष्य नम्रतापुर्ण बात हानी पहुचाने के लिए ही करते है।
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[…] चाहिए-sajjano ke virrudh nahi jana chahiye-one should not go against a gentleman किन पर विश्वास नहीं करना चाहिए किस पर विश्वास नहीं करना चाहिए-Who not to trust […]