<> Chankya niti Archives - Bhartiythought

उत्साही व्यक्ती के लिए इस संसार मे कोई भी कार्य ऐसा नहीं जो वह कर न सके-utsahi vyakti ke liye kuch bhi kathin nahi

उत्साहवतां शत्रवोपि वशिभवन्ति। जो व्यक्ती उत्साही होते है वे अपने अति शत्रू को भी वश मे कर सकते है।उत्साही व्यक्ती के लिए इस संसार मे कोई भी कार्य ऐसा नहीं…

अच्छे गुण ग्रहण कैसें करे-acche gun grahan kaise kare-how to improve our

।। मृत्पिण्डोपि पाटलिगन्धमुत्पादयति ।। जिस प्रकार बिना गंध वाली मिट्टी मे फुलो के संसर्ग से उसमे गंध आ जाता है,इसी प्रकार स्वाभाव से जो व्यक्ती गुण ग्रहण करने की इच्छा…

गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है-Jaisi sangat vaisi rangat-You become who you are with.

गुणवदाश्रयान्निर्गुणोपि गुणी भावति। गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने से अथवा उसके पास रहणे से गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ती को इस संसार मे सभी बातो का…

सज्जन पुरुष के विरुद्ध नहीं चलना चाहिए-sajjano ke virrudh nahi jana chahiye-one should not go against a gentleman

।। सतां मतं नातिक्रमेत्।। सज्जन पुरुष जो निर्णय लेते है उसके विरुद्ध कार्य करना उचित नही अर्थात सत्पुरूषो के विरुद्ध चलना मनुष्य का कर्तव्य नही।आखिर क्यो सज्जन पुरुष के विरुद्ध…

किन पर विश्वास नहीं करना चाहिए

।। अप्रिये कृतं प्रियमपि द्वेष्यं भवती।। शत्रू द्वारा ऐसा व्यवहार जो देखने मे हितकारी प्रतीत हो,उसे दूध से भरे बर्तन के मुख पर लगे विष के समान ही मानना चाहिए।…

किस पर विश्वास नहीं करना चाहिए-Who not to trust

मर्यादातीतं न कदाचिदपि विश्वसेत् जो व्यक्ती सामाजिक नियमो अर्थात मर्यादाओ का उल्लंघन करते है उनका कभी भी विश्वास नही करना चाहिये। प्रत्येक समाज मे कुछ नियम होते है। समाज उन…

अपनी योजना किसे बताए-Dont share our planning to anyone

मन से सोचे हुए कार्यो को वाणी द्वारा प्रकट नही करना चाहिये,परंतु मनपुर्वक भली प्रकार सोचते हुये उसकी रक्षा करनी चाहिये और चुप रहते हुए उस सोची हुई बात को…

दोष निकालना कठीण कामं नही-finding fault is not difficult

|| विपश्चित्स्वपि सुलभा दोषाः || सामान्य रूप से ज्ञानी व्यक्तिओ के व्यवहार मे भी दोष निकाले जा सकते है अर्थात यदी दोष निकालने की दृष्टी से उनके व्यवहार को देखा…

सत्य बात किसे कहे-who should tell the truth

सत्यमप्यश्रद्धेयं न वदेत् जिस व्यक्ति की सत्य मे श्रद्धा न हो, उस व्यक्ति को सत्य के संबंध मे कुछ कहना व्यर्थ है। चाणक्य कहते है कि जिसे सत्य अप्रिय लागता…