|| वृद्धसेवया विज्ञानम ||
मनुष्य बुजुर्गों की सेवा से ही व्यवहारकुशल होता है और उसे अपने कर्तव्य की पहचान होती है |वृद्धों की सेवाओ से व्यक्ती को इस बात का पता चलता है कि कोनसा कार्य करने योग्य है और को कोनसा न करने योग्य | इसका भाव यह है कि वृद्ध व्यक्ती ने अपने जीवनकाल मे बहुत कुछ सिखा है, उसने बहुत मामलो मे अनुभव प्राप्त किया होता है | यदि कोई व्यक्ती सांसारिक कार्य व्यवहार मे कुशलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे बुढे-बुजुर्गों व्यक्तियो की सेवा करनी चाहिये | उनके अनुभवो से लाभ उठाना चाहिये | जो मनुष्य ज्ञान-वृद्ध लोगो के पास निरंतर उठता-बैठता है और उनमे श्रद्धा रखता है, वह ऐसे गुण सिख लेता है कि उसे समाज मे अपने आचार- व्यवहार से सम्मान प्राप्त होता है | वह धोखेबाज और पाखंडी लोगो के चक्रव्यूह मे नही फसता |
इस सूत्र मे जो ‘विज्ञानम’ शब्द आया है उसका अर्थ केवल व्यवहारकुशल होना ही नही वरन् संसार कि ऐसी अनेक बाते जिनका ज्ञान वृद्ध लोगो के पास आने-जाने, उनके उपदेशों और उनकी संगती करने से प्राप्त होता है | वे अपने अनुभवो से उनका जीवन सरल बनाने मे सहायक होते है | इस प्रकार ‘विज्ञान’ का अर्थ एक व्यापक जानकारी से है | जिसकी प्राप्ती केवल पुस्तको से ही संभव नही | क्योकी उन्हे पढने,समझने और ज्ञान प्राप्त करने मे काफी समय लगता है | वृद्ध पुरुषो के पास जीवन का निचोड होता है, इसिलिए वृद्धो की सेवा श्रद्धा और भक्तिपुर्वक करने से मनुष्य संसार मे अनेक महत्वपूर्ण ज्ञान सरलतापुर्वक प्राप्त कर सकता है |
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम।।
हिंदी अर्थ – जो व्यक्ति सुशील और विनम्र होते हैं, बड़ों का अभिवादन व सम्मान करने वाले होते हैं तथा अपने बुजुर्गों की सेवा करने वाले होते हैं। उनकी आयु, विद्या, कीर्ति और बल इन चारों में वृद्धि होती है।
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