<> गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है

गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है-Jaisi sangat vaisi rangat-You become who you are with.

गुणवदाश्रयान्निर्गुणोपि गुणी भावति।

गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने से अथवा उसके पास रहणे से गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है।

You become who you are with.

प्रत्येक व्यक्ती को इस संसार मे सभी बातो का ज्ञान नही होता।  ज्ञान प्राप्त करने के लिये गुरु का आश्रय लेना होता है। परंतु गुरु हर समय किसी के साथ नही रह सकता। उसका कर्तव्य उसे ज्ञान देना है,परंतु सांसारिक समस्या के संबंध मे जो भी निर्णय लेने होते है, उनका आधार सत्संग होता है अर्थात व्यक्ती अनुभवी पुरुषो के साथ रहकर विवेक बुद्धी अर्जित कर लेता है और उनके अनुसार सांसारिक समस्याए हल करने मे सुविधा होती है। अनुभवी पुरुषो के सत्संग मे मनुष्य के विवेक मे व्रुद्धि होती है।

क्षीराश्रितं जलं क्षीरमेव भवती।

दूध मे मिला हुआ जल भी दूध ही बन जाता है अर्थात दूध मे मिले हुए पानी को भी लोग दूध ही मानते है। इसी प्रकार गुणी व्यक्ती के संसर्ग मे रहने वाला व्यक्ती गुणी बन जाता है।

शराब बेचने वाला व्यक्ती शराब के बर्तन मे दूध भरकर रखने का प्रयत्न करेगा तो लोग उसे शराब ही समझेंगे। इसी प्रकार जो व्यक्ती दुष्ट और निर्गुणी व्यक्तियो का संग करता है उसे दुर्गुणी माना जाता है,जो व्यक्ती सज्जनो का सत्संग करता है,वह गुणहीन होने पर भी गुणी मान लिया जाता है।

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By Bharat

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