<> दोष निकालना कठीण कामं नही-finding fault is not difficult - Bhartiythought

दोष निकालना कठीण कामं नही-finding fault is not difficult

|| विपश्चित्स्वपि सुलभा दोषाः ||

सामान्य रूप से ज्ञानी व्यक्तिओ के व्यवहार मे भी दोष निकाले जा सकते है अर्थात यदी दोष निकालने की दृष्टी से उनके व्यवहार को देखा जाए तो दोष निकालना कठीण कामं नही है।

satya kise kahe

अनेक स्थानो पर चाणक्य ने यह बताया है की प्रत्येक व्यक्ती और प्रत्येक कुल मे कही-न कही दोष जरूर होता है। परंतु सज्जनो,विद्वानो,और ज्ञानी व्यक्तिओ के व्यवहार मे इस तरह के दोष को महत्व नहीं देना चाहिए। उसकी ओर ध्यान देने से दुष्ट व्यक्तियो को भले ही प्रसन्नता हो सकती है परंतु सज्जनो को इससे कोई हानी नही होती। इसीलिये निंदा करने वाले व्यक्ती विद्वान् लोगो मे भी दोष धुंडते रहते है।

|| नास्ति रत्न्मखण्डितम् ||

जिस प्रकार प्रत्येक रत्न मे किसी-न-किसी प्रकार की त्रुटी निकाली जा सकती है,इसी प्रकार विद्वानों मे भी इन्द्रियों से संबंधित भुले अथवा दोष पकडे जा सकते है।

इसका भावार्थ यह है की निंदा करना निंदक व्यक्ती का एक प्रकार से अपराध होता है। जिस प्रकार किसी भी रत्न मे दोष निकालने के बाद उसको दोषरहित और वास्तविक सिद्ध किया जाता है,उसी प्रकार विद्वानो पर भी किसि-न-किसी प्रकार से दोष निकाले जा सकते है।

परंतु अंत मे वही दोष उन्हे निर्दोष सिद्ध करने वाले बन जाते है अर्थात विद्वानो की निंदा करना अपनी अज्ञान का परिचय देना है।

Read More:-https://bhartiythought.com/mahatvapurn-baat-kahi-se-bhi-le-leni-chahiye/

 

By Bharat

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *