<> March 2024 - Bhartiythought

उत्साही व्यक्ती के लिए इस संसार मे कोई भी कार्य ऐसा नहीं जो वह कर न सके-utsahi vyakti ke liye kuch bhi kathin nahi

उत्साहवतां शत्रवोपि वशिभवन्ति। जो व्यक्ती उत्साही होते है वे अपने अति शत्रू को भी वश मे कर सकते है।उत्साही व्यक्ती के लिए इस संसार मे कोई भी कार्य ऐसा नहीं…

अच्छे गुण ग्रहण कैसें करे-acche gun grahan kaise kare-how to improve our

।। मृत्पिण्डोपि पाटलिगन्धमुत्पादयति ।। जिस प्रकार बिना गंध वाली मिट्टी मे फुलो के संसर्ग से उसमे गंध आ जाता है,इसी प्रकार स्वाभाव से जो व्यक्ती गुण ग्रहण करने की इच्छा…

गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है-Jaisi sangat vaisi rangat-You become who you are with.

गुणवदाश्रयान्निर्गुणोपि गुणी भावति। गुणवान मनुष्य का आश्रय लेने से अथवा उसके पास रहणे से गुणहीन व्यक्ती भी गुणी हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ती को इस संसार मे सभी बातो का…

सज्जन पुरुष के विरुद्ध नहीं चलना चाहिए-sajjano ke virrudh nahi jana chahiye-one should not go against a gentleman

।। सतां मतं नातिक्रमेत्।। सज्जन पुरुष जो निर्णय लेते है उसके विरुद्ध कार्य करना उचित नही अर्थात सत्पुरूषो के विरुद्ध चलना मनुष्य का कर्तव्य नही।आखिर क्यो सज्जन पुरुष के विरुद्ध…